Chaukori - A Secluded Hill Station
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When I made my first visit to Kumaon in October 1985 for Pindari Glacier
trek, I was familiar with only a few places of Kumaon region such as
Nainital, Alm...
Monday, November 17, 2008
हाल-ए-दिल
कौन इस राह से गुज़रता है
दिल यूं ही इंतज़ार करता है
देख कर भी न देखने वाले
दिल तुझे देख देख डरता है
शहर-ए-गुल में कटी है सारी रात
देखिए दिन कहाँ गुज़रता है
ध्यान की सीढियों पे पिछले पहर
कोई चुपके से पांव धरता है
दिल तो मेरा उदास है नासिर
शहर क्यूँ साएँ साएँ करता है
नासिर काज़मी
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इंतज़ार,
उदास,
दिल,
नासिर काज़मी
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bahut hi accha likha hai,,,,,,,
ReplyDeletenasir saab ne,,,,,,,,,
Nasir kazmee ki rachna bohot achhee lagee..ek kasksi chhod gayi..
ReplyDeleteSwagat hai shubhkamnayonke saath !
गजेन्द्र जी स्वागत और शुभकामनायें, एक नेक सलाह "SNAP" वाली सुविधा(?) हटा सकें तो अच्छा रहेगा, यह व्यवधान पैदा करता है… इसी प्रकार वर्ड वेरिफ़िकेशन भी हटायें… इससे टिप्पणीकार और पाठक को एक "फ़्लो" मिलता है…
ReplyDeleteअक्षय जी व शमा जी आप मेरे ब्लॉग पर आए और अपनी टिपणी दी आच्छा लगा, आपका सुक्रिया.
ReplyDeleteso wonderful blog. ब्लोगिंग जगत में आपका स्वागत है. खूब लिखें, खूब पढ़ें, स्वच्छ समाज का रूप धरें, बुराई को मिटायें, अच्छाई जगत को सिखाएं...खूब लिखें-लिखायें...
ReplyDelete---
आप मेरे ब्लॉग पर सादर आमंत्रित हैं.
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अमित के. सागर
इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका हिन्दी चिटठा जगत में स्वागत है। आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को मजबूत बनाने के साथ ही साथ खुद भी बडी उंचाइयां प्राप्त करेंगे। हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
ReplyDeletegood. narayan narayan
ReplyDeletedil ke halat ko kitni achi tarah samja hai,koi aye ya na aye intjar to karna hi hai, kyoki is dil ki yahi adat hai
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