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Friday, November 21, 2008

तेरी आहट



ज़ख्म मुस्कुराते हैं अब भी तेरी आहट पर,
दर्द भूल जाते हैं अब भी तेरी आहट पर ।

शबनमी सितारौं पर फूल खिलने लगते हैं,
चाँद मुस्कुराता है अब भी तेरी आहट पर ।

उमर काट दी लेकिन बचपना नहीँ जाता,
हम दिए जलाते हैं अब भी तेरी आहट पर ।

तेरी याद आए तो नींद जाती रहती है,
हम खुशी मानते हैं अब भी तेरी आहट पर ।

अब भी तेरी आहट पर चाँद मुस्कुराता है,
ख्वाब गुनगुनाते हैं अब भी तेरी आहट पर ।

तेरे हिज्र में हम पर इक अजब तारी है,
चोंक चोंक जाते हैं अब भी तेरी आहट पर ।

अब भी तेरी आहट पर आस लौट आती है,
अश्क हम बहाते हैं अब भी तेरी आहट पर ।

Monday, November 17, 2008

हाल-ए-दिल



कौन इस राह से गुज़रता है
दिल यूं ही इंतज़ार करता है

देख कर भी न देखने वाले
दिल तुझे देख देख डरता है

शहर-ए-गुल में कटी है सारी रात
देखिए दिन कहाँ गुज़रता है

ध्यान की सीढियों पे पिछले पहर
कोई चुपके से पांव धरता है

दिल तो मेरा उदास है नासिर
शहर क्यूँ साएँ साएँ करता है

नासिर काज़मी

Tuesday, November 4, 2008

माँ का रुप यह भी

माँ का रुप यह भी ............................


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