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Friday, November 21, 2008

तेरी आहट



ज़ख्म मुस्कुराते हैं अब भी तेरी आहट पर,
दर्द भूल जाते हैं अब भी तेरी आहट पर ।

शबनमी सितारौं पर फूल खिलने लगते हैं,
चाँद मुस्कुराता है अब भी तेरी आहट पर ।

उमर काट दी लेकिन बचपना नहीँ जाता,
हम दिए जलाते हैं अब भी तेरी आहट पर ।

तेरी याद आए तो नींद जाती रहती है,
हम खुशी मानते हैं अब भी तेरी आहट पर ।

अब भी तेरी आहट पर चाँद मुस्कुराता है,
ख्वाब गुनगुनाते हैं अब भी तेरी आहट पर ।

तेरे हिज्र में हम पर इक अजब तारी है,
चोंक चोंक जाते हैं अब भी तेरी आहट पर ।

अब भी तेरी आहट पर आस लौट आती है,
अश्क हम बहाते हैं अब भी तेरी आहट पर ।

2 comments:

  1. बहुत बढ़िया! ख़ूब!

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  2. आपकी आहट पर न्योछावर हो गये. आभार.

    ReplyDelete

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