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Monday, November 17, 2008

हाल-ए-दिल



कौन इस राह से गुज़रता है
दिल यूं ही इंतज़ार करता है

देख कर भी न देखने वाले
दिल तुझे देख देख डरता है

शहर-ए-गुल में कटी है सारी रात
देखिए दिन कहाँ गुज़रता है

ध्यान की सीढियों पे पिछले पहर
कोई चुपके से पांव धरता है

दिल तो मेरा उदास है नासिर
शहर क्यूँ साएँ साएँ करता है

नासिर काज़मी