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Saturday, October 11, 2008

घुघुती घुरोण लगी म्यार मैंता की

नरेन्द्र सिंह नेगी जी का एक बेहतरीन बिरह गीत जो घुघूती पक्षी को माध्यम बना कर लिखा गया है। यह यह गढ़वाली गीत सदाबहार और बहुत ही मधुर है ।

घुघुती घुरोण लगी म्यार मैंता की
बौडी बौडी ए गी ऋतू , ऋतू चैत की
ऋतू , ऋतू चैत की, ऋतू, ऋतू चैत की........

डंडीयों खीलाना होला, बुरोंसी का फूल
पथियुं हैसणी होली, फ्योली मूल मूल
डंडीयों खीलाना होला, बुरोंसी का फूल
पथियुं हैसणी होली, फ्योली मूल मूल
कुलारी फुल्पाती लेकी, देल्हियुं देल्हियुं जाला
कुलारी फुल्पाती लेकी, देल्हियुं देल्हियुं जाला
दगडया भाग्यान थाडया, चौपाल लागला
घुगुती घुरोण लगी हो ........................

घुघुती घुरोण लगी म्यार मैंता की
बौडी बौडी ए गी ऋतू, ऋतू चैत की
ऋतू, ऋतू चैत की, ऋतू, ऋतू चैत की
तीबारी मा बैठ्या हवाला, बाबाजी उदास
बाटु हेनी होली माँ जी, लगी होली सास
तीबारी मा बैठ्या हवाला, बाबाजी उदास
बाटु हेनी होली माँ जी, लगी होली सास
कब म्यार मैती औजी, देसा भेंटी आला
कब म्यार मैती औजी, देसा भेंटी आला
कब म्यारा भाई बहनो की, राजी खुशी ल्याला
घुगुती घुरोण लगी हो.................................

घुगुती घुरोण लगी म्यारा मैंता की
बौडी बौडी एगी ऋतू, ऋतू चैत की
ऋतू, ऋतू चैत की ऋतू , ऋतू चैत की