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Friday, November 21, 2008

तेरी आहट



ज़ख्म मुस्कुराते हैं अब भी तेरी आहट पर,
दर्द भूल जाते हैं अब भी तेरी आहट पर ।

शबनमी सितारौं पर फूल खिलने लगते हैं,
चाँद मुस्कुराता है अब भी तेरी आहट पर ।

उमर काट दी लेकिन बचपना नहीँ जाता,
हम दिए जलाते हैं अब भी तेरी आहट पर ।

तेरी याद आए तो नींद जाती रहती है,
हम खुशी मानते हैं अब भी तेरी आहट पर ।

अब भी तेरी आहट पर चाँद मुस्कुराता है,
ख्वाब गुनगुनाते हैं अब भी तेरी आहट पर ।

तेरे हिज्र में हम पर इक अजब तारी है,
चोंक चोंक जाते हैं अब भी तेरी आहट पर ।

अब भी तेरी आहट पर आस लौट आती है,
अश्क हम बहाते हैं अब भी तेरी आहट पर ।

Friday, October 17, 2008

कुछ हम को ज़माने ने वो गीत सुनाये हैं

कुछ हम को ज़माने ने वो गीत सुनाये हैं
दो अश्क मोहब्बत के आंखों में समाये हैं ।

माना के मुलाकातों का वक्त नहीं आया
हर रात को ख़्वाबों में तशरीफ वो लाये हैं ।

इनकार की आदत तो दिलबर को नहीं मेरे
ये बात अलग है कि वादे न निभाये हैं ।

करते थे कभी उन की सूरत से बहुत बातें
कैसे कह दें हमने वो लम्हे गंवाए हैं ।

रू-ब-रू कभी उन का दीदार न कर पाये
बे-परदा खलिश आख़िर मय्यत पे वो आए हैं ।