रिश्ते : अपने पराये

रिश्ते :

खून के रिश्तों का, 
खून होते देखा है हमने..


अपनों को पराया,
बनते हुए देखा है हमने..


अनजान रिश्तों को भी,
परवान चढ़ते देखा है हमने..


प्यार के रिश्तों को,
दिल की गहराइयों से..


सिंचित होते हुए..
फलते-फूलते देखा है हमने..

© गजेन्द्र बिष्ट 

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