कश्मीर की याद दिलाते हैं रूपकुंड के हरे मैदान

उत्तरांचल के चमोली जिले में स्थित रमणीक स्थल रूपकुंड को पर्यटन मानचित्र पर अब तक उचित स्थान नहीं मिल सका है। चमोली जिले के सीमान्त देवाल विकास खांड में समुद्र तल से १६२०० फुट की ऊंचाई पर नंदाकोट, नंदाघाट और त्रिशूल जैसे विशाल हिम पर्वत शिखरों की छांव में चट्टानों तथा पत्थरों के विस्तार के बीच फैला हुआ प्रकृति का अनमोल उपहार रूपकुंड एक ऐसा मनोरम स्थल है जो अपनी स्वास्थ्यवर्धक जलवायु, दिव्य, अनूठे रहस्यमय स्वरूप और नयनाभिराम दृश्यों के लिए जाना जाता है। रूपकुंड की यात्रा के लिए जून उत्तरार्द्ध से सितम्बर उत्तरार्द्ध का समय सर्वोत्तम होता है क्योंकि इसके बाद इस पूरे क्षेत्र में हिमपात का सिलसिला प्रारम्भ हो जाता है जिससे पर्यटकों को यात्रा के लिए अनुकूल परिस्थितियां दुर्लभ हो जाती हैं। प्रकृति की अनूठी कृति रूपकुंड का अवलोकन करने जाने के लिए श्रीनगर, कर्णप्रयाग तथा देवाल होते हुए भी जाया जा सकता है, लेकिन यदि ट्रैकिंग के रूप में ग्वालदम से पदयात्रा की जाए तो पर्यटक उस क्षेत्र के ग्रामीण जनजीवन, सांस्कृतिक व ऐतिहासिक विरासत तथा अनछुए स्थलों से जुड़े विशिष्ट अनुभवों से ओत–प्रोत होकर लगभग १० ...