किस्मत का दस्तूर निराला होता है
कटती नहीं है ग़म की रात, ये ठहर गई है क्या ? नींद तो खैर सो गई, मौत भी मर गई है क्या ? जलते हैं अरमान, मेरा दिल रोता है । किस्मत का दस्तूर निराला होता है । कौन मेरे टूटे दिल की फरयाद सुने , आज मेरी तकदीर का मालिक सोता है । आई ऐसी मौज़ कि साहिल छूट गया, वरना अपनी कश्ती कौन डुबोता है । किस्मत का दस्तूर निराला होता है ।