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Tuesday, October 7, 2008

किस्मत का दस्तूर निराला होता है


कटती नहीं है ग़म की रात,
ये ठहर गई है क्या ?
नींद तो खैर सो गई,
मौत भी मर गई है क्या ?
जलते हैं अरमान,
मेरा दिल रोता है ।
किस्मत का दस्तूर निराला होता है ।

कौन मेरे टूटे दिल की फरयाद सुने ,
आज मेरी तकदीर का मालिक सोता है ।
आई ऐसी मौज़ कि साहिल छूट गया,
वरना अपनी कश्ती कौन डुबोता है ।
किस्मत का दस्तूर निराला होता है ।