कुछ जज़्बात, कुछ भावनाये, क्यूँ आती हैं
उमड़ कर हौले से बिन बुलाए मेहमान की तरह रूक जाती हैं
कभी कुछ कहती हैं, कभी यूँ ही खामोशी से रहती हैं
एक लहर सी उछल जाती हैं, कभी तरंग बन थिरकती हैं
कभी दिल के कोने में छुपी हुई पाता हूँ उन्हे
कभी खुल खुलकर बरसती हैं
बेईमान हो हमसे सब के सामने आकर बहती हैं,
हमे भी भिगो देती है कई बार रुसवा कर देती हैं,
कभी हथेली पर छोड़ जाती है खुशी के दो मोती हर रूप में उनके,
कभी हमें बहा कर ले जाती हैं ………
Chaukori - A Secluded Hill Station
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When I made my first visit to Kumaon in October 1985 for Pindari Glacier
trek, I was familiar with only a few places of Kumaon region such as
Nainital, Alm...
क्या ये आपने गंगा के लिए नहीं कहा है। पढ़ते समय मुझे तो हर अबिव्यक्ति में गंगा नदी नजर आई।
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