रिश्ते : अपने पराये
रिश्ते : खून के रिश्तों का, खून होते देखा है हमने.. अपनों को पराया, बनते हुए देखा है हमने.. अनजान रिश्तों को भी, परवान चढ़ते देखा है हमने.. प्यार के रिश्तों को, दिल की गहराइयों से.. सिंचित होते हुए.. फलते-फूलते देखा है हमने.. © गजेन्द्र बिष्ट https://m.facebook.com/bisht.gs
नववर्ष की शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteकुछ ही पलों में आने वाला नया साल आप सभी के लिए
ReplyDeleteसुखदायक
धनवर्धक
स्वास्थ्वर्धक
मंगलमय
और प्रगतिशील हो
यही हमारी भगवान से प्रार्थना है
रचना सुन्दर है नववर्ष की शुभ कामनायें
ReplyDeleteaap ko bhi naye saal ki shubhkaamna
ReplyDeleteRachna bahut hi achhi hai, Aapko bhi nav varsh ki shubhkamnayen
ReplyDeleteसकारात्मक आशावादी सोच के लिए साधुवाद.
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