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Wednesday, October 1, 2008

इंटरनेट के पृष्ठों पर राज करती हिन्दी

वे दिन अब लद चुके हैं, जब हम किसी सायबर कैफे में बैठे-बैठे मातृभाषा हिंदी की कोई बेबसाइट ढ़ूंढते रह जाते थे; और तब कोई साइट तो दूर जगत्-जाल यानी इंटरनेट पर हिंदी की दो-चार पंक्तियाँ पढ़ पाने की साध भी पूरी नहीं हो पाती थी । अब जगत्-जाल पर हिंदी की दुनिया दिन-प्रतिदिन समृद्ध होती जा रही है ..................
पूरा पढ़ने के लिये निम्नलिखित लिंक पर जायें यह लेख जयप्रकाश मानस जी ने लिखा है अपनी बात

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